Saturday, January 31, 2009

सूरज को कुछ और लाल कर दो



काल की गती विकराल कर दो,
उठा गगन पाताल कर दो,
हाथों में एक मशाल लेकर,
सूरज को कुछ और लाल कर दो !!

तक़दीर


चन्दन की टहनियों पर जलने वालो,
कुछ चूल्हे ऐसे भी हैं जिन्हें लकड़ी नसीब नहीं !
तमन्नाओ में जलाभिषेक करने वालो,
यहाँ प्यास बुझने की तमन्ना है फिर भी बूंद नसीब नहीं !!