
उग्र है बयार आज, चीखते सियार आज,
दर्द से कराहती, पुकारती माँ भारती,
ज्वाला के मध्य, तोड़ सारे बध्य,
मुट्ठी को तान के, खड़ा हो अब तू शान से,
कर्म अपना जान तू , इसे धर्म अपना मान तू ,
उरदीप को जला कर , संग सबको मिलकर,
शांति-पथ के कंटको को, स्वयं हाथों से निकाल दे ,
तेरा जो नाम है , उस नाम को पहचान दे ,
हो भविष्य सुखमय, इस वर्ष में ये ध्यान दे,
इंसानों की बस्ती में, तू शांति का पैगाम दे !!