आती नहीं थी नींद उनकी याद में हमें,
हमारी यादो से भरे,
अब उनके सपने भी नहीं होते...
हमारी यादो से भरे,
अब उनके सपने भी नहीं होते...
कॉलेज से लौटने के पश्चात् रोज के मुताबिक प्रोफ़ेसर ज्ञानीजी घूमने निकले. रास्ते में दूर से बूढा पीपल और उसके नीचे बेठे दुक्खी काका दिखाई दे रहे थे. धंसे हुए गाल, झुर्रियों से भरा चेहरा, सिर पर सफेदी का जंगल और लगातार चलने वाली खांसी, यही कक्का की पहचान थी.

